Friday, August 22, 2014

EK SANGHARSH KI GATHA JISKA RESULT AAJ AAYA

दलीप बिशनोई
दोस्तों,
आपको आज ये बात/संघर्षगाथा बताना चाहता हूँ कि अपने साथ हुए अन्याय के विरुद्ध अगर लड़ने का जज्बा हो तो इंसान क्या कर सकता और और क्या पा सकता है। ये कहानी है एक होनहार एससी कैटेगरी से सबंधित एक लड़की की जिसने अपने संघर्ष के जज्बे से आज कई और लोगो के लिए नौकरी लगने की उम्मीद जिन्दा कर दी है। स्कूल लेक्चरर हिंदी का जो पब्लिक नोटिस आया है वो इसके संघर्ष की देंन है।

दरअसल वर्ष 2006 में हरियाणा स्टॉफ सेलेक्सन कमीशन ने स्कूल लेक्चरर कैडर में भर्ती के लिए विज्ञापन संख्या 6/2006 के तहत दिनाक 20 जुलाई 2006 को विज्ञापन जारी किया जिसमे कैटेगरी नंबर 6 के अंतर्गत स्कूल लेक्चरर हिंदी की भर्ती होनी थी। एक लड़की ने भी उस विज्ञापन के अंतर्गत स्कूल लेक्चरर हिंदी पद के लिए आवेदन किया। उस लड़की पूनम कुमारी (पता मालूम है लेकिन लिखना उचित नहीं) ने हिंदी में एमए,एम.फिल व पीएचडी की हुई थी। स्कूल लेक्चरर हिंदी पद के लिए लिखित परीक्षा हुई और परीक्षा का
परिणाम 21 जून 2008 को घोषित किया गया। उसने लिखित परीक्षा पास कर ली। उसने लिखित परीक्षा में सफल घोषित अपना व सभी एससी कैटेगरी की फीमेल के अंको का ब्यौरा आरटीआई से माँगा लेकिन कमीशन ने कहा कि अंतिम परिणाम घोषित होने तक ब्यौरा नहीं दे सकते। उसने सूचना आयोग में अपील दाखिल की तो सूचना आयोग ने प्रथम अपील को कमीशन में दाखिल करने की राय दी। उसने कमीशन में प्रथम अपील दाखिल कर दी परन्तु कमीशन ने उसकी अपील पर फैसला देने की बजाय उस अपील को लटकाके रखा जिस पर उस लड़की ने सूचना के लिए हाईकोर्ट में सीडबल्यूपी 18946 ऑफ 2008 दाखिल की। हाईकोर्ट ने उसकी याचिका को ही रिप्रेजेंटेशन मानते हुए कमीशन को लिखित आदेश पारित करने या सूचना
देने का आदेश दिया। 14 अक्टूबर 2008 को भर्ती का रिजल्ट घोषित कर दिया गया। लेकिन उस होनहार लड़की का चयन नहीं हुआ। उसकी रिप्रेजेंटेशन पर कमीशन के सचिव ने 5.12.2008 को आदेश पारित करते हुए उसकी रिप्रेजेंटेशन को ये कह कर रद्द कर दिया की उसके अंतिम परिणाम में चयनित एससी कैटेगरी की लास्ट फीमेल कम अंक है इसलिए उसका चयन नहीं हुआ। उसको लिखित परीक्षा में 94 अंक दिए गए लेकिन उस लड़की पूनम कुमारी को पूरा यकीन था कि उसने लिखित परीक्षा में बहुत अच्छा पेपर किया था और उसके अंक कम दिए गए है। उसने हाईकोर्ट में CWP No. 136 of 2009 दाखिल कर कहा कि उसका संदेह दूर करने के लिए उसकी लिखित परीक्षा वाली उत्तर पुस्तिका कोर्ट में मंगवाई जाए। कोर्ट ने कहा कि ये क्या केस बनता है लेकिन उसके ज्यादा दबाव देने पर कोर्ट ने उसको 10000 रुपए जमा करवाने का आदेश दिया जो उसने करवा दिए तो कोर्ट ने उसकी लिखित परीक्षा वाली उत्तर पुस्तिका कोर्ट में मंगवाई। लेकिन कमीशन ने अंतिम परिणाम घोषित करने के मात्र 11 दिन बाद ही सारा रिकार्ड नष्ट कर दिया और कोर्ट में रिकार्ड नष्ट होने का जवाब दिया। कोर्ट ने लड़की की याचिका ख़ारिज कर दी क्योकि रिकार्ड नष्ट होने के कारण उसकी उत्तर पुस्तिका देखना संभव नहीं था। लड़की ने डिवीजन बेंच में अपील दाखिल की Letters Patent Appeal No.1390 of 2009 जिसमे हाईकोर्ट ने सिंगल बेंच के आदेश को सही ठहराया और उसकी अपील ख़ारिज कर दी। लड़की ने हार नहीं मानी और सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की और उसका भाग्य अच्छा था कि केस जस्टिस सिंघवी की बेंच में लगा। उन्होंने फैसला दिया कि कमीशन द्वारा नियमो की अवहेलना कर रिकार्ड नष्ट करने की 3 महीने की निर्धारित समयसीमा से पहले ही मात्र 11 दिन बाद रिकार्ड नष्ट करना गोलमाल की और इशारा करता है और ऐसे में कोर्ट चुप नहीं बैठ सकता। याचिकाकर्ता का रिकार्ड नष्ट होने के कारण कोर्ट उसको राहत नहीं दे सकता लेकिन इतना जरूर कर सकता है कि सभी लिखित परीक्षा में बैठने वाले अचयनित उम्मीदवारों की कमीशन दोबारा लिखित परीक्षा ले और चयन प्रक्रिया पूरी करके वर्तमान में उपलब्ध स्कूल लेक्चरर हिंदी के पदो पर उनको 4 महीने में नियुक्ति दे। सुप्रीम कोर्ट आदेश का लास्ट भाग ये था,

"However, it will not be fair to confine the fresh selection to the appellant alone. The other unsuccessful candidates, who could not approach the High Court or this Court on account of ignorance or financial constraints cannot be deprived of their legitimate right to be again considered along with the appellant and any direction by the Court to consider the case of the appellant alone would result in the violation of the doctrine of equality.
In the result, the appeal is allowed and the impugned judgment as also the order passed by the learned Single Judge are set aside. The Commission is directed to hold fresh written test and interview for considering the candidature of the appellant and other unsuccessful candidates after giving them due intimation about the date, time and place of the examination and interview. This exercise should be completed within a period of four months from the date of receipt/production of this order. The candidates who are selected on the basis of the exercise undertaken pursuant to this direction shall become entitled to be appointed against the vacancies which may be available on the date of finalisation of the selection.

इस आदेश के बाद उस लड़की का 2009 में निकली नई स्कूल लेक्चरर वाली भर्ती में चयन हो गया या कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भुला दिया गया ये सोच कर कि वो लड़की तो नौकरी लग गई अब कोर्ट में कोई नहीं जायेगा लेकिन किसी अन्य ने फिर इंटरवेनिग एप्लीकेशन/अवमानना का केस सुप्रीम कोर्ट में डाल दिया और सरकार फस गई क्योकि केस तत्कालीन मुख्य सचिव पीके चौधरी के खिलाफ दायर हुआ था। अंतत: हरियाणा विद्यालय शिक्षक चयन बोर्ड ने कोर्ट में ये एफिडेविट दिया कि सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का पालन करेंगे और नवंबर 2014 तक भर्ती कर देंगे। एफिडेविट में ये शेडूल दिया है--

1. Notice for inviting online data of the candidates = 1st week August, 2014

(To ensure the identity of the candidates)

2. Date of Publication of notice for written examination = Last week of August,2014

3. Date of Written examination= 2nd week of October,2014

4. Date of declaration of result of written examination= Last week of Oct.,2014

5. Date of Interview= 1st week of November,2014

6. Date of compilation and declaration of final result= Last week of Nov., 2014

अब आपको समझ आ गया होगा कि अपने हक के लिए कितनी लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ती है और हर कोई ऐसी लड़ाई नहीं लड़ता। मुझे इस केस में बड़ी रूचि थी और मैं चाहता था की आदेश की पालना हो इसलिए एक पत्र एक साथी को ड्राफ्ट करके दिया था जो उसने भेज दिया था और अब वो भी खुश है कि कम से कम एक चांस तो बना नौकरी का। तो साथिओ आपको कैसी लगी ये संघर्ष गाथा,बताना जरूर।

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