जेबीटी अध्यापकों के 9647 पदों को भरने के लक्ष्य में राज्य सरकार को आधी कामयाबी तो मिल गई। लंबी जिरह के बाद उच्च न्यायालय ने परिणाम घोषित करने के लिए हरी झंडी दिखा दी है। चूंकि प्रक्रिया कुछ लंबी और परिस्थितियां कुछ विशेष हैं, इसलिए पूर्ण लक्ष्य की प्राप्ति में सरकार व आवेदकों को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। सरकार ने हाई कोर्ट में आश्वासन दिया है कि हर उम्मीदवार की पूर्ण वेरीफिकेशन के बाद ही परिणाम जारी किए जाएंगे। राज्य में विधानसभा चुनावों की तिथियों की घोषणा कभी भी हो सकती है, फिर आचार संहिता जारी होगी, लिहाजा परिणाम घोषित नहीं किए जा सकेंगे। चूंकि उम्मीदवारों की संख्या इतनी अधिक है कि इतने कम समय में हर उम्मीदवार की वेरीफिकेशन संभव नहीं। सरकार के नीति निर्धारकों को गहन मंथन करना चाहिए कि उनका हर निर्णय संदेह के घेरे में क्यों आ रहा है? जेबीटी के इतने अधिक पद दो वर्ष पूर्व एक साथ विज्ञापित किए गए, भर्ती प्रक्रिया का आधारभूत कार्य पूरा हुआ तो एक के बाद एक अनियमितताएं सामने आने लगी। पात्रता परीक्षा के प्रमाणपत्र की विश्वसनीयता व अन्य मुद्दों को अदालत में
चुनौती दी गई। यह स्पष्ट तौर पर कहा गया कि प्रमाणपत्रों की जांच सही तरीके से नहीं की गई। बड़ी संख्या में उम्मीदवारों के पात्रता परीक्षा के अंगूठे के निशान नहीं मिल रहे। इससे संकेत मिल रहा है कि परीक्षा में धांधली हुई और यदि ऐसा हुआ है तो ऐसे पात्रता परीक्षा पास उम्मीदवारों को पात्र कैसे माना जाए और नौकरी क्यों दी जाए? 1 अब जबकि सरकार को उचित अवसर मिला है तो प्रमाणपत्रों की जल्द जांच के लिए अतिरिक्त प्रबंध होने चाहिए। सुनिश्चित हो कि कोई भी अपात्र नियुक्ति पत्र न पा सके। जैसा कि बार-बार कहा जा रहा है, सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया त्रुटिहीन बनाने पर पूरा ध्यान देना चाहिए। हाल के वर्षो में आधा दर्जन से अधिक अवसरों पर सरकारी भर्ती को या तो अदालत ने रद कर दिया या मामले कोर्ट में लंबित हैं। इनसे लगता है कि किसी स्तर पर भर्ती प्रक्रिया दोषपूर्ण है या भर्ती विज्ञापित करने से पहले आधारभूत तैयारी नहीं की जाती। राज्य में अध्यापकों के हजारों पर रिक्त हैं, पात्र अध्यापकों की संख्या लाखों में पहुंच चुकी। जेबीटी के परिणाम घोषित होने से हजारों बेरोजगारों को उम्मीद की नई किरण दिखाई देगी, साथ ही अध्यापकों की कमी से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को भी कम करने में मदद मिलेगी।
चुनौती दी गई। यह स्पष्ट तौर पर कहा गया कि प्रमाणपत्रों की जांच सही तरीके से नहीं की गई। बड़ी संख्या में उम्मीदवारों के पात्रता परीक्षा के अंगूठे के निशान नहीं मिल रहे। इससे संकेत मिल रहा है कि परीक्षा में धांधली हुई और यदि ऐसा हुआ है तो ऐसे पात्रता परीक्षा पास उम्मीदवारों को पात्र कैसे माना जाए और नौकरी क्यों दी जाए? 1 अब जबकि सरकार को उचित अवसर मिला है तो प्रमाणपत्रों की जल्द जांच के लिए अतिरिक्त प्रबंध होने चाहिए। सुनिश्चित हो कि कोई भी अपात्र नियुक्ति पत्र न पा सके। जैसा कि बार-बार कहा जा रहा है, सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया त्रुटिहीन बनाने पर पूरा ध्यान देना चाहिए। हाल के वर्षो में आधा दर्जन से अधिक अवसरों पर सरकारी भर्ती को या तो अदालत ने रद कर दिया या मामले कोर्ट में लंबित हैं। इनसे लगता है कि किसी स्तर पर भर्ती प्रक्रिया दोषपूर्ण है या भर्ती विज्ञापित करने से पहले आधारभूत तैयारी नहीं की जाती। राज्य में अध्यापकों के हजारों पर रिक्त हैं, पात्र अध्यापकों की संख्या लाखों में पहुंच चुकी। जेबीटी के परिणाम घोषित होने से हजारों बेरोजगारों को उम्मीद की नई किरण दिखाई देगी, साथ ही अध्यापकों की कमी से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को भी कम करने में मदद मिलेगी।
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