कैथल
सुबह के नौ बजे का समय है। राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय जाखौली अड्डा में शिक्षा विभाग की काउंसलिंग कमेटी काउंसलिंग के लिए बैठे रहे। लेकिन स्कूल में जिले भर से आने वाले ड्राइंग, पीटीआई और डीपीई स्कूल के अंदर आने के स्थान पर बाहर ही एकत्रित हो रहे हैं।
अध्यापक इस काउंसलिंग को अध्यापक विरोधी बता रहे हैं। स्कूल के अंदर काउंसलिंग करने आए अधिकारी सुबह 11 बजे तक बैठे इंतजार करने के बाद स्कूल के बाहर आ गए। उन्होंने उच्च अधिकारियों को स्थिति के बारे में अवगत कराया।
उधर कोई भी अध्यापक स्कूल के अंदर नहीं गया। वे गेट के बाहर ही रेशनेलाइजेशन के विरोध में नारेबाजी
कर रहे थे। दोपहर बाद कुछ अध्यापक घरों को भी चले गए। काउंसलिंग अधिकारी अध्यापकों को नया स्टेशन चयन करने के लिए बार-बार बुलाते रहे। लेकिन अध्यापक अड़े रहे। शारीरिक शिक्षक संघ व कला अध्यापक संघ के बैनर तले नए स्टेशन लेने के लिए आए अध्यापकों ने रेशनेलाइजेशन के विरोध में नारेबाजी की। शारीरिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष रोशन लाल और जिला सचिव ईश्वर ढांडा ने कहा कि सरकार की नीतियां शिक्षा विरोधी नीतियां हैं। सरकार ने रेशनेलाइजेशन की नीति लागू करके अध्यापकों का समय और बच्चों की पढ़ाई खराब की है। वे इस नीति का सख्त विरोध करते हैं। इस नीति का सीनियर सेकेंडरी स्कूल और मिडल स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों पर भी असर पड़ेगा। इससे जिले भर में सैकड़ों टीचर सरप्लस हो जाएंगे, जिन्हें दूसरे जिलों में भेजा जाएगा। जहां पर पहुंचने के लिए अध्यापकों के समय की भी बर्बादी होगी। वे इसका सख्त विरोध करते हैं। ये होगी व्यवस्था अध्यापक ईश्वर ढांडा, परमल सिंह और रोशन लाल ने कहा कि सरकारी स्कूलों में एक हजार बच्चों की संख्या पर पीटीआई और डीपीई लगाए गए थे। ये बच्चों को प्रार्थना, योग और खेलों के लिए तैयार करते रहे हैं। लेकिन अब रेशनेलाइजेशन के तहत एक हजार की संख्या वाले स्कूलों में पीटी का पद समाप्त कर दिया गया है। इन बच्चों को डीपीई अकेला ही खेलों और योग में निपुण करेगा। पीटीआई का पद समाप्त होने के कारण वे सरप्लस की कतार में आ जाएंगे। जबकि पीटीआई को 50 बच्चों की संख्या से ऊपर वाले मिडल स्कूलों से भी हटाया जा रहा है। हालांकि पीटीआई को रेशनेलाइजेशन की नीति के अनुसार कक्षा छह से कक्षा आठ तक और कक्षा 9वीं से कक्षा 12वीं तक के स्कूलों में डीपीई लगाया जाना था। लेकिन अब कक्षा छह से कक्षा 12वीं तक अकेला डीपीई ही बच्चों को संभालेगा। इस बारे में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सतीश राणा ने कहा कि दोपहर बाद स्थिति नार्मल हो गई थी। अधिकतर अध्यापकों को रेशनेलाइजेशन की नीति के तहत स्टेशन दे दिए गए हैं। दोपहर से पहले अध्यापकों में किसी बात को लेकर रोष था, जिसे हल कर लिया गया। काउंसलिंग के लिए 54 पीटीआई ही बुलाए गए थे। जिले भर में ड्राइंग और डीपीई की पोस्टें सरप्लस नहीं हैं। इसलिए उन्हें बुलाया ही नहीं गया था। आज पांच पीटीआई गैर हाजिर पाए गए। उनकी गैरहाजिरी लगाकर रिपोर्ट ऊपर भेज दी गई है।
कर रहे थे। दोपहर बाद कुछ अध्यापक घरों को भी चले गए। काउंसलिंग अधिकारी अध्यापकों को नया स्टेशन चयन करने के लिए बार-बार बुलाते रहे। लेकिन अध्यापक अड़े रहे। शारीरिक शिक्षक संघ व कला अध्यापक संघ के बैनर तले नए स्टेशन लेने के लिए आए अध्यापकों ने रेशनेलाइजेशन के विरोध में नारेबाजी की। शारीरिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष रोशन लाल और जिला सचिव ईश्वर ढांडा ने कहा कि सरकार की नीतियां शिक्षा विरोधी नीतियां हैं। सरकार ने रेशनेलाइजेशन की नीति लागू करके अध्यापकों का समय और बच्चों की पढ़ाई खराब की है। वे इस नीति का सख्त विरोध करते हैं। इस नीति का सीनियर सेकेंडरी स्कूल और मिडल स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों पर भी असर पड़ेगा। इससे जिले भर में सैकड़ों टीचर सरप्लस हो जाएंगे, जिन्हें दूसरे जिलों में भेजा जाएगा। जहां पर पहुंचने के लिए अध्यापकों के समय की भी बर्बादी होगी। वे इसका सख्त विरोध करते हैं। ये होगी व्यवस्था अध्यापक ईश्वर ढांडा, परमल सिंह और रोशन लाल ने कहा कि सरकारी स्कूलों में एक हजार बच्चों की संख्या पर पीटीआई और डीपीई लगाए गए थे। ये बच्चों को प्रार्थना, योग और खेलों के लिए तैयार करते रहे हैं। लेकिन अब रेशनेलाइजेशन के तहत एक हजार की संख्या वाले स्कूलों में पीटी का पद समाप्त कर दिया गया है। इन बच्चों को डीपीई अकेला ही खेलों और योग में निपुण करेगा। पीटीआई का पद समाप्त होने के कारण वे सरप्लस की कतार में आ जाएंगे। जबकि पीटीआई को 50 बच्चों की संख्या से ऊपर वाले मिडल स्कूलों से भी हटाया जा रहा है। हालांकि पीटीआई को रेशनेलाइजेशन की नीति के अनुसार कक्षा छह से कक्षा आठ तक और कक्षा 9वीं से कक्षा 12वीं तक के स्कूलों में डीपीई लगाया जाना था। लेकिन अब कक्षा छह से कक्षा 12वीं तक अकेला डीपीई ही बच्चों को संभालेगा। इस बारे में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सतीश राणा ने कहा कि दोपहर बाद स्थिति नार्मल हो गई थी। अधिकतर अध्यापकों को रेशनेलाइजेशन की नीति के तहत स्टेशन दे दिए गए हैं। दोपहर से पहले अध्यापकों में किसी बात को लेकर रोष था, जिसे हल कर लिया गया। काउंसलिंग के लिए 54 पीटीआई ही बुलाए गए थे। जिले भर में ड्राइंग और डीपीई की पोस्टें सरप्लस नहीं हैं। इसलिए उन्हें बुलाया ही नहीं गया था। आज पांच पीटीआई गैर हाजिर पाए गए। उनकी गैरहाजिरी लगाकर रिपोर्ट ऊपर भेज दी गई है।
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