पानीपत 1शारीरिक शिक्षा अनुदेशक (पीटीआइ) का रेश्नलाइजेशन स्कूली खिलाड़ियों के लिए महंगा साबित होगा। राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाने वाले खिलाड़ियों को अब पीटीआइ की सेवाएं नसीब नहीं होंगी। स्ट्रेंथ के आधार पर उन्हें दूसरे सरकारी स्कूलों में शिफ्ट किया जा रहा है। रेश्नलाइजेशन की गुगली में होनहार खिलाड़ियों का भविष्य दांव पर लग जाएगा।1मौलिक शिक्षा निदेशालय से रेश्नलाइजेशन का फरमान बीते दिनों जारी किया गया। निदेशालय के अधिकारियों की मौजूदगी में प्रत्येक जिले में पीटीआइ रेश्नलाइजेशन की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। नए नियमों के तहत पानीपत में रेश्नलाइजेशन का कार्य पूरा कर लिया गया। स्ट्रेंथ के आधार
पर 31 सरकारी स्कूलों से पीटीआइ को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा। सीनियर सेकेंडरी स्कूलों से जब पीटीआइ शिफ्ट हो जाएंगे तो शारीरिक शिक्षा निर्देशक (डीपीई) के बलबूते प्रतिभावान खिलाड़ी कैसे तैयार होगा। 1सरकारी यह है नई पॉलिसी : निदेशालय के नियमों के मुताबिक सरकारी स्कूलों में 350 स्ट्रेंथ पर एक पीटीआइ, 700 तक दो पीटीआइ तथा इससे अधिक छात्रों की संख्या होने पर तीन पीटीआइ की सेवाएं देते रहे। अब नई पॉलिसी के तहत सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में 1000 हजार से कम स्ट्रेंथ है तो डीपीई खिलाड़ियों को तराशेगा। पीटीआइ की सेवाएं उदीयमान खिलाड़ियों अब नसीब नहीं होगी। डबल शिफ्ट स्कूलों में जहां बच्चों की संख्या 900 से उपर व 1000 से कम है, उन्हें डीपीई प्रशिक्षित करेगा। मालूम हो कि डीपीई का पद सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में ही है।1बुनियाद होगी कमजोर : निदेशालय के इस फैसले से स्कूली खिलाड़ियों की बुनियाद कमजोर हो जाएगी। रेश्नलाइजेशन के तहत प्रदेश भर में कई ऐसे सरकारी स्कूल हैं जहां से पीटीआइ को शिफ्ट कर दिया गया। स्कूलों में डीपीई व पीटीआई दोनों खेलों में बच्चों को तैयार करते हैं। जो जिस खेल में एक्सपर्ट होता है उसमें होनहारों की टीम तैयार करवाता है।1 राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को अब पीटीआइ की सेवाएं नसीब नहीं होंगी चिंताजनक : कैसे बनेगा नंबर वन : मलिक1सेवानिवृत्त सहायक जिला शिक्षा अधिकारी विरेंद्र मलिक का कहना है कि सरकार एक तरफ स्कूलों में खेल को बढ़ावा देने की बात कह कर इसे अनिवार्य कर रही है, दूसरी तरफ रेश्नलाइजेशन के पैमाने पर पीटीआइ शिफ्ट किए जा रहे हैं। खिलाड़ियों की नींव इससे कमजोर हो जाएगी। हरियाणा को खेल में नंबर वन बनाने का सरकारी दावा ढकोसला साबित होगा।
पर 31 सरकारी स्कूलों से पीटीआइ को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा। सीनियर सेकेंडरी स्कूलों से जब पीटीआइ शिफ्ट हो जाएंगे तो शारीरिक शिक्षा निर्देशक (डीपीई) के बलबूते प्रतिभावान खिलाड़ी कैसे तैयार होगा। 1सरकारी यह है नई पॉलिसी : निदेशालय के नियमों के मुताबिक सरकारी स्कूलों में 350 स्ट्रेंथ पर एक पीटीआइ, 700 तक दो पीटीआइ तथा इससे अधिक छात्रों की संख्या होने पर तीन पीटीआइ की सेवाएं देते रहे। अब नई पॉलिसी के तहत सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में 1000 हजार से कम स्ट्रेंथ है तो डीपीई खिलाड़ियों को तराशेगा। पीटीआइ की सेवाएं उदीयमान खिलाड़ियों अब नसीब नहीं होगी। डबल शिफ्ट स्कूलों में जहां बच्चों की संख्या 900 से उपर व 1000 से कम है, उन्हें डीपीई प्रशिक्षित करेगा। मालूम हो कि डीपीई का पद सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में ही है।1बुनियाद होगी कमजोर : निदेशालय के इस फैसले से स्कूली खिलाड़ियों की बुनियाद कमजोर हो जाएगी। रेश्नलाइजेशन के तहत प्रदेश भर में कई ऐसे सरकारी स्कूल हैं जहां से पीटीआइ को शिफ्ट कर दिया गया। स्कूलों में डीपीई व पीटीआई दोनों खेलों में बच्चों को तैयार करते हैं। जो जिस खेल में एक्सपर्ट होता है उसमें होनहारों की टीम तैयार करवाता है।1 राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को अब पीटीआइ की सेवाएं नसीब नहीं होंगी चिंताजनक : कैसे बनेगा नंबर वन : मलिक1सेवानिवृत्त सहायक जिला शिक्षा अधिकारी विरेंद्र मलिक का कहना है कि सरकार एक तरफ स्कूलों में खेल को बढ़ावा देने की बात कह कर इसे अनिवार्य कर रही है, दूसरी तरफ रेश्नलाइजेशन के पैमाने पर पीटीआइ शिफ्ट किए जा रहे हैं। खिलाड़ियों की नींव इससे कमजोर हो जाएगी। हरियाणा को खेल में नंबर वन बनाने का सरकारी दावा ढकोसला साबित होगा।
No comments:
Post a Comment