हरियाणा सरकार ने दस वर्ष की सेवा अवधि पूरी करने वाले ग्रुप -‘सी’ एवं ‘डी’ के कर्मचारियों की नियमितीकरण नीति अधिसूचित की है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि इस नीति के अंतर्गत ग्रुप -‘सी’ एवं ‘डी’ के ऐसे कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित किया जायेगा, जिनकी नियुक्ति स्वीकृत पदों के विरुद्ध की हुई है और जो दस वर्ष की सेवा अवधि पूरी कर चुके हैं अथवा 31 दिसम्बर, 2018 तक यह सेवा अवधि पूरी कर लेंगे। भले ही ऐसे कर्मचारियों की मूल नियुक्ति विज्ञापन और साक्षात्कार की प्रक्रिया द्वारा न हुई हो लेकिन उनका सेवा रिकार्ड संतोषजनक होना चाहिए तथा वे नीति में दिये गये मानदंडों को पूरा करते हो।
उन्होंने बताया कि नीति के अंतर्गत कर्मचारी नियुक्ति की तिथि को पद के लिये निर्धारित योग्यताएं रखता हो। जिस पद के विरूद्घ नियमितीकरण किया जाना है वह आरंभिक नियुक्ति तथा नियमितीकरण के समय स्वीकृत रिक्त पद होना चाहिए। नियमितीकरण के समय सरकार द्वारा समय-समय पर जारी की गई आरक्षण नीति को भी ध्यान में रखा जायेगा। यदि
आरक्षित वर्ग के रोस्टर को सामान्य या अन्य वर्ग द्वारा भरा गया है तो अगली रिक्ति को आरक्षित वर्ग से भरा जायेगा। सेवा के नियमितीकरण के उपरांत कर्मचारी पर अंशदान पैंशन स्कीम लागू होगी। संबंधित कर्मचारी से चिकित्सा प्रमाण पत्र तथा जन्म तिथि का दस्तावेजी सबूत प्राप्त किया जायेगा। इसके अलावा, सरकारी हिदायतों के अनुसार कर्मचारी का पुलिस द्वारा सत्यापन, यदि पहले नहीं किया गया हो तो, किया जायेगा। उपरोक्त मापदण्ड में किसी भी प्रकार की छूट की अनुमति नहीं दी जायेगी। उन्होंने कहा कि ऐसे पद, जिनके विरूद्ध नियमितीकरण विचाराधीन है, को हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग या सक्षम प्राधिकरण, जैसा भी मामला हो, के कार्य क्षेत्र से बाहर निकाला गया है। ऐसे कर्मचारी को अधिसूचना जारी होने की तिथि अथवा उसकी पात्रता की तिथि से नियमित किया जायेगा। नियमित किये गये कर्मचारियों की वरिष्ठïता उनके नियमितीकरण की तिथि से नियत की जायेगी तथा उन्हें उनकी सेवाएं नियमित किये जाने से पूर्व नियमित आधार पर अंतिम नियुक्त कर्मचारियों की वरिष्ठïता से नीचे रखा जायेगा। बहरहाल, ऐसे कर्मचारियों की परस्पर वरिष्ठïता उनके सेवा में आने की तिथि के अनुसार निर्धारित की जायेगी। यदि ऐसे कर्मचारियों की सेवा में आने की तिथि एक ही है तो जो कर्मचारी आयु में बड़ा होगा वह आयु में छोटे कर्मचारी से वरिष्ठï होगा। चुंकि, यह नीति लोकोपकारी आधार पर एक मुश्त उपाय है, इसलिए निर्धारित शर्तों को पूरा न करने के कारण अनुपयुक्त पाया गया कोई भी व्यक्ति अधिकार की दृष्टिï से इसका दावा करने का हकदार नहीं होगा। भविष्य में, तदर्थ या अनुबंध आधार पर कोई भी गैर कानूनी या अनियमित नियुक्ति या नियोजन स्वीकृत पदों के विरूद्ध नहीं किया जायेगा। नीति में यह भी स्पष्टï किया गया है कि विभागों द्वारा पूर्वानुमानित रिक्तियों के आधार पर रिक्त पदों को भरने के लिये अपने आग्रह भेजे गये होंगे तथा हो सकता है कि हरियाणा सरकार की भर्ती एजेंसियों द्वारा विज्ञापन भी जारी किये गये हो। यदि ऐसे कर्मचारियों के नियमितीकरण के फलस्वरूप विभागों में उपलब्ध रिक्तियों की संख्या परिवर्तित होती है तो भर्ती एजेंसियों को पहले भेजी गई मांग प्रभावित हो सकती है। इसके दृष्टिïगत सभी विभागों से कहा गया है कि वे यह गणना करें कि अपने कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित किये जाने के उपरांत भर्ती एजेंसियों को भेजी गई रिक्तियों की संख्या में बदलाव आया है या नहीं। यदि ऐसा हो तो वे इस संबंध में एक सप्ताह के भीतर शुद्धिपत्र जारी करने के लिए भर्ती एजेंसियों या आयोग को अपना आग्रह भेजे।
आरक्षित वर्ग के रोस्टर को सामान्य या अन्य वर्ग द्वारा भरा गया है तो अगली रिक्ति को आरक्षित वर्ग से भरा जायेगा। सेवा के नियमितीकरण के उपरांत कर्मचारी पर अंशदान पैंशन स्कीम लागू होगी। संबंधित कर्मचारी से चिकित्सा प्रमाण पत्र तथा जन्म तिथि का दस्तावेजी सबूत प्राप्त किया जायेगा। इसके अलावा, सरकारी हिदायतों के अनुसार कर्मचारी का पुलिस द्वारा सत्यापन, यदि पहले नहीं किया गया हो तो, किया जायेगा। उपरोक्त मापदण्ड में किसी भी प्रकार की छूट की अनुमति नहीं दी जायेगी। उन्होंने कहा कि ऐसे पद, जिनके विरूद्ध नियमितीकरण विचाराधीन है, को हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग या सक्षम प्राधिकरण, जैसा भी मामला हो, के कार्य क्षेत्र से बाहर निकाला गया है। ऐसे कर्मचारी को अधिसूचना जारी होने की तिथि अथवा उसकी पात्रता की तिथि से नियमित किया जायेगा। नियमित किये गये कर्मचारियों की वरिष्ठïता उनके नियमितीकरण की तिथि से नियत की जायेगी तथा उन्हें उनकी सेवाएं नियमित किये जाने से पूर्व नियमित आधार पर अंतिम नियुक्त कर्मचारियों की वरिष्ठïता से नीचे रखा जायेगा। बहरहाल, ऐसे कर्मचारियों की परस्पर वरिष्ठïता उनके सेवा में आने की तिथि के अनुसार निर्धारित की जायेगी। यदि ऐसे कर्मचारियों की सेवा में आने की तिथि एक ही है तो जो कर्मचारी आयु में बड़ा होगा वह आयु में छोटे कर्मचारी से वरिष्ठï होगा। चुंकि, यह नीति लोकोपकारी आधार पर एक मुश्त उपाय है, इसलिए निर्धारित शर्तों को पूरा न करने के कारण अनुपयुक्त पाया गया कोई भी व्यक्ति अधिकार की दृष्टिï से इसका दावा करने का हकदार नहीं होगा। भविष्य में, तदर्थ या अनुबंध आधार पर कोई भी गैर कानूनी या अनियमित नियुक्ति या नियोजन स्वीकृत पदों के विरूद्ध नहीं किया जायेगा। नीति में यह भी स्पष्टï किया गया है कि विभागों द्वारा पूर्वानुमानित रिक्तियों के आधार पर रिक्त पदों को भरने के लिये अपने आग्रह भेजे गये होंगे तथा हो सकता है कि हरियाणा सरकार की भर्ती एजेंसियों द्वारा विज्ञापन भी जारी किये गये हो। यदि ऐसे कर्मचारियों के नियमितीकरण के फलस्वरूप विभागों में उपलब्ध रिक्तियों की संख्या परिवर्तित होती है तो भर्ती एजेंसियों को पहले भेजी गई मांग प्रभावित हो सकती है। इसके दृष्टिïगत सभी विभागों से कहा गया है कि वे यह गणना करें कि अपने कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित किये जाने के उपरांत भर्ती एजेंसियों को भेजी गई रिक्तियों की संख्या में बदलाव आया है या नहीं। यदि ऐसा हो तो वे इस संबंध में एक सप्ताह के भीतर शुद्धिपत्र जारी करने के लिए भर्ती एजेंसियों या आयोग को अपना आग्रह भेजे।
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