12वीं की परीक्षा पास करने वाले छात्रों को इस
अकादमिक वर्ष से शिक्षक बनने के लिए सीधे बीएड का कोर्स करने
का विकल्प उपलब्ध होगा। इसके लिए देशभर में स्नातक स्तर पर
‘बीए-बीएड’ और ‘बीएससी-बीएड’ पाठ्यक्रम उपलब्ध होंगे।
एक साथ बीएड-एमएड की व्यवस्था भी शुरू :
इसी तरह स्नातकोत्तर स्तर पर तीन साल के एक ही विशेष कोर्स से
बीएड और एमएड करने की भी व्यवस्था शुरू हो रही है। सरकारी
स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने में भी इन प्रयासों से मदद
मिल सकेगी। मानव संसाधन विकास मंत्रलय में स्कूल शिक्षा सचिव
वृंदा स्वरूप के मुताबिक अध्यापक शिक्षण व्यवस्था में इस वर्ष काफी
आमूल परिवर्तन किए गए हैं।
दूरस्थ शिक्षा बीएड पाठ्यक्रमों पर रोक :
दूरस्थ शिक्षा के तहत होने वाले बीएड पाठ्यक्रमों पर रोक लगा
दी गई है। वृंदा कहती हैं कि बदलावों के पीछे मूल विचार है कि
शिक्षक प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार आए।
चार साल का है पाठ्यक्रम
जहां स्नातक स्तर से विशेष तौर पर एकीकृत पाठ्यक्रम शुरू कर छात्र
को सिर्फ चार साल में ही बीए या बीएससी और बीएड दोनों
करने की सुविधा मिल सकेगी। यह पाठ्यक्रम चार साल का है। इसके
अलावा स्नातकोत्तर स्तर पर इंटिगेट्रेड पीजी पाठ्यक्रम के जरिये
छात्र को तीन साल में ही एक साथ बीएड और एमएड करने का
विकल्प उपलब्ध होगा।
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