स्कूली अध्यापकों ने फसली अवकाश का विरोध करते हुए इसे सरकार का बेतुका फरमान बताया है। राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों द्वारा आज एक प्रेस नोट जारी करते हुए कहा है कि सरकार तथा विभागीय अधिकारियों के मध्य हुई बातचीत में यह तय हुआ था कि यह अवकाश ग्रीष्मकालीन अवकाश के साथ जोड़ दी जाऐंगी, लेकिन सरकार ने अपने मनर्मजी फैसले को लागू करते हुए बच्चों को नुकसान पहुंचाया है।
राजकीय अध्यापक संघ के जिला प्रधान अशोक यादव द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि सरकार एक सोची समझी साजिश के तहत इस तरह के फरमान जारी कर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि इन अवकाश का परोक्ष लाभ उठाते हुए प्राईवेट स्कूलों के संचालक दाखिले में बाजी मारेंगे और सरकारी स्कूलों में दाखिले का प्रतिशत कम होगा। इस प्रकार के तुगलगी फरमान से जहां स्कूलों
में बच्चों की संख्या कम होगी, वहीं प्राईवेट शिक्षण संस्थानों के मुखिया इन अवकाशों का फायदा उठाते हुए बच्चों को अपने संस्थानों की तरफ आकर्षित करने में कामयाब होंगे। अशोक यादव के अनुसार इस प्रकार के अवकाश को ग्रीष्मकालीन अवकाशों में शामिल करते हुए बच्चों को दोहरे नुकसान से बचाया जा सकता था, लेकिन सरकारी हुक्मरानों के अड़ियल रूख के चलते सब कुछ चौपट होने के कगार पर पहुंचता जा रहा है। वहीं अध्यापक संघ की तरफ से चेतावनी देते प्रधान ने कहा गया है कि अगर इन घोषित अवकाश को रद्द नहीं किया गया तो इसके गंभीर परिणाम भी भुगतने होंगे।
में बच्चों की संख्या कम होगी, वहीं प्राईवेट शिक्षण संस्थानों के मुखिया इन अवकाशों का फायदा उठाते हुए बच्चों को अपने संस्थानों की तरफ आकर्षित करने में कामयाब होंगे। अशोक यादव के अनुसार इस प्रकार के अवकाश को ग्रीष्मकालीन अवकाशों में शामिल करते हुए बच्चों को दोहरे नुकसान से बचाया जा सकता था, लेकिन सरकारी हुक्मरानों के अड़ियल रूख के चलते सब कुछ चौपट होने के कगार पर पहुंचता जा रहा है। वहीं अध्यापक संघ की तरफ से चेतावनी देते प्रधान ने कहा गया है कि अगर इन घोषित अवकाश को रद्द नहीं किया गया तो इसके गंभीर परिणाम भी भुगतने होंगे।
No comments:
Post a Comment