Sunday, April 6, 2014

PRIVATE SCHOOLS NE MACHAI LOOT

एस. चौधरी. लाडवा मंडी एक तरफ तो मौजूदा सरकार करोड़ों रुपए शिक्षा पर खर्च कर शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में लगी है लेकिन इसके बावजूद भी बच्चों के अभिभावकों का रुझान सरकारी स्कूलों की ओर नहीं बढ़ रहा है। बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिल करवाने से कतराते रहते है। यही कारण है कि अभिभावकों को मजबूरन निजी स्कूलों में अपने बच्चों को महंगे भाव में शिक्षा दिलाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। सरकारी स्कूलों की बदहाली के कारण ही निजी स्कूल संचालक इसका खूब फायदा उठा रहे है। हालांकि सरकार बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के दावे कर रही है, लेकिन निजी स्कूल संचालक हर वर्ष स्कूल की दाखिले व फीसों के दामों में वृद्धि कर अभिभावकों को चूना लगा रहे है। कई नामी स्कूलों ने इस बार भी दाखिलों, फीस व वैन किराए आदि को बढ़ाकर अभिभावकों पर ओर अधिक बोझ डाल दिया है। वहीं
नाम न छापने की शर्त पर कुछ सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने बताया कि वह चाहकर भी अच्छी पढ़ाई नहीं करवा पाते अर्थात सरकार की और से दिखावा अलग है व वास्तविकता अलग है। सरकारी स्कूलों में अधिकतर गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ते है। उधर सरकारी स्कूल के अध्यापकों को गैर शैक्षिणक कार्य इतने ’यादा दिए जाते है कि वह कलाश में पढ़ाने की अपेक्षा अन्य कागजों में उलझे रह जाते है। सरकार की इस लापरवाही का खामियाजा बच्चों के अभिभावकों को उठाना पड़ रहा है। यहीं नहीं नामी निजी स्कूलों में तो अभिभावकों को बच्चों की वर्दी से लेकर किताबों के नाम पर भी खुली लूट मचाई हुई है। इतना ही नहीं यदि कोई अभिभावक उनके खिलाफ आवाज उठाने की चेष्टा करता है तो उसके उस बच्चे को स्कूल में दाखिल करने से मना कर दिया जाता है। अभिभावकों को अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए जहां इन स्कूल संचालकों के हाथों लूटने को मजबूर होना पड़ रहा है, बल्कि स्कूली संचालकों की हठधर्मी के चलते कई बार नीचा भी देखना पड़ता है। बार-बार मांग करने के बावजूद भी न तो सरकार और न ही शिक्षा विभाग बच्चों की इस गंभीर समस्या का समाधान करवाने का प्रयास कर रही है, जिससे अभिभावकों में रोष पनप रहा है और निजी स्कूल संचालकों के हाथों लूटने को मजबूर हो रहे है।

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