यशपाल शर्मा, चंडीगढ़ 1हरियाणा के सरकारी स्कूलों में कार्यरत गेस्ट टीचर्स पक्का होने के दिल्ली सरकार की नियमितीकरण नीति को अपना कवच बनाएंगे। दिल्ली सरकार ने हाल ही में सरकारी स्कूलों में कार्यरत गेस्ट को पक्का करने के लिए नीति जारी की है। इसके तहत एक साल में नब्बे दिन नियमित सेवाएं देने वाले गेस्ट को पक्का किया जाएगा। हरियाणा के गेस्ट टीचर्स भी प्रदेश में पूर्व हुड्डा सरकार द्वारा बनाई गई तीन वर्षीय नियमितीकरण नीति के तहत पक्का करने की मांग कर रहे हैं।116 जून को यहां होने वाली उच्च स्तरीय बैठक में गेस्ट दिल्ली के साथ-साथ अन्य राज्यों की नीतियों का भी उल्लेख करेंगे लेकिन विशेष फोकस दिल्ली की नीति पर ही रहेगा। इस बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ ही एडवोकेट जनरल और कानूनी विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। गेस्ट की ओर से भी कानूनी सलाहकार कोई कानूनी अड़चन न होने को लेकर दलीलें पेश करेंगे। प्रदेश सरकार गेस्ट टीचर्स को पक्का करने की राह में हाईकोर्ट की अवमानना को अड़चन करार दे रही है। जबकि
गेस्ट का कहना है कि सरकार उनके सरप्लस न होने का शपथ पत्र देकर इस बाधा को दूर कर सकती है। अब निगाहें उच्च स्तरीय बैठक पर टिक गई हैं चूंकि इसी में अंतिम निर्णय होना है। मालूम हो कि एक बार फिर दिल्ली सरकार की ही नीति मनोहर सरकार के लिए स्थिति असहज कर सकती है। चूंकि प्राकृतिक आपदा के समय भी केजरीवाल सरकार ने ही किसानों को प्रति एकड़ 20 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की थी और हरियाणा में इसका व्यापक असर देखने को मिला था। 1गेस्ट टीचर्स संघ के प्रदेश संयोजक राजेंद्र शास्त्री का कहना है कि सरकार के साथ होने वाली बैठक में मजबूती के साथ पक्ष रखा जाएगा। दिल्ली सरकार की नीति की प्रति भी सरकार को सौंपने का निर्णय लिया गया है।
गेस्ट का कहना है कि सरकार उनके सरप्लस न होने का शपथ पत्र देकर इस बाधा को दूर कर सकती है। अब निगाहें उच्च स्तरीय बैठक पर टिक गई हैं चूंकि इसी में अंतिम निर्णय होना है। मालूम हो कि एक बार फिर दिल्ली सरकार की ही नीति मनोहर सरकार के लिए स्थिति असहज कर सकती है। चूंकि प्राकृतिक आपदा के समय भी केजरीवाल सरकार ने ही किसानों को प्रति एकड़ 20 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की थी और हरियाणा में इसका व्यापक असर देखने को मिला था। 1गेस्ट टीचर्स संघ के प्रदेश संयोजक राजेंद्र शास्त्री का कहना है कि सरकार के साथ होने वाली बैठक में मजबूती के साथ पक्ष रखा जाएगा। दिल्ली सरकार की नीति की प्रति भी सरकार को सौंपने का निर्णय लिया गया है।
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