जागरण संवाददाता, कैथल : हरियाणा राज्य में शिक्षा विभाग
की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगता रहा है क्योंकि शिक्षा
विभाग जेबीटी अध्यापकों के साथ उनको मिलने वाले लाभों को
देने में हमेशा पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाता रहा है। शिक्षा विभाग
द्वारा वर्तमान में सात हजार से ज्यादा मास्टर को प्रवक्ता
पदोन्नत करने के बाद भी विभाग द्वारा जेबीटी अध्यापकों को
मास्टर की पदोन्नति के लिए केस आमंत्रित नहीं किए गए। इससे
विभाग द्वारा जेबीटी के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया स्पष्ट दिखाई
दे रहा है।
सरकार हमेशा अपने गले में पड़े फांस को निकालने के लिए जेबीटी
अध्यापकों के हितों को बलिदान करती आई है। इससे राज्य में
नियुक्त लगभग चालीस हजार जेबीटी अध्यापक अपने आपको ठगा
सा महसूस करते हैं। राज्य में प्राथमिक शिक्षकों को केवल एक ही
पदोन्नति मुख्य शिक्षक के रूप में प्रदान की जाती है। पिछले दस
वर्षो में किसी भी जिले में एक भी प्राथमिक शिक्षक को मुख्य
शिक्षक नहीं बनाया गया। इसके कारण नवनियुक्त अध्यापकों को
भी स्कूल मुखिया की जिम्मेवारी निभानी पड़ रही है।
दूसरे राज्यों में जहां प्राथमिक शिक्षक को मुख्य शिक्षक, केन्द्र
प्रधान, खण्ड प्राथमिक शिक्षा अधिकारी तथा जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी के पदों तक पदोन्नति प्रदान की जाती है, वहीं हरियाणा में एक प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति पाने के बाद प्राथमिक शिक्षक ही रिटायर हो जाता है। एक प्राथमिक शिक्षक के लिए सेवा नियमों में अन्य विषयों के अध्यापक पद पर पदोन्नति के लिए नियम बनाए गए हैं। इनमें पहले सामाजिक अध्ययन मास्टर के लिए 50 प्रतिशत तो हिन्दी, विज्ञान, गणित, संस्कृत तथा अन्य विषयों के मास्टर पद पर पदोन्नति के लिए 33 प्रतिशत पद आरक्षित हैं। सरकार व शिक्षा विभाग के ढुलमुल रवैये, तानाशाही व प्राथमिक शिक्षकों के साथ लापरवाही रवैये के कारण कभी भी प्राथमिक शिक्षकों को किसी भी विषय पर समय पर पदोन्नति नहीं मिल सकी। कई विषयों के मास्टर पदों में जेबीटी अध्यापकों के पदोन्नति कोटे के लगभग दस हजार सीटों पर सरकार व शिक्षा विभाग जेबीटी अध्यापकों को पदोन्नति न देकर उनका मानसिक शोषण कर रही है। गणित व विज्ञान पदों पर पदोन्नति कोटे के इतने पद खाली पड़े हैं कि बेशक जल्द ही नियुक्त होने वाले जेबीटी अध्यापकों को भी तुरंत पदोन्नति मिल सकती है। शिक्षा विभाग की लचर नीतियों के कारण प्राथमिक शिक्षक हमेशा पदोन्नति से वंचित रह जाते हैं क्योंकि प्राथमिक शिक्षकों को पदोन्नति नियमानुसार न देकर किसी संकट से उबारने के कारण ही प्रदान की जाती है। वर्ष 2010 में एसएस मास्टर पर पदोन्नति जेबीटी अध्यापकों के लिए सीटें रिक्त करने की मजबूरी के कारण की गई थी। शिक्षा विभाग हर साल पदोन्नति के लिए अभियान चलाता है जिसमें जिला शिक्षा अधिकारियों को डिप्टी डायरेक्टर, खंड शिक्षा अधिकारियों को जिला शिक्षा या मौलिक शिक्षा अधिकारी, प्रधानाचार्यो को खंड शिक्षा अधिकारी, प्रवक्ता को प्रधानाचार्य, मास्टर को प्रवक्ता बनाया जाता है। जब जेबीटी को मास्टर पद पर पदोन्नति करने का समय आता है तो विभाग का अभियान फिसड्डी साबित हो जाता है। जेबीटी अध्यापकों के साथ पदोन्नति के नियमों में भी पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाया गया है क्योंकि सी एंड वी तथा पीटीआइ नियमों तथा ग्रेड में जेबीटी के समान होने पर भी मास्टर व प्रवक्ता दोनों में पदोन्नति प्राप्त कर सकते हैं। एक जेबीटी अध्यापक को प्रवक्ता बनने के लिए पहले मास्टर पद पर कार्य करना अनिवार्य है।
प्रधान, खण्ड प्राथमिक शिक्षा अधिकारी तथा जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी के पदों तक पदोन्नति प्रदान की जाती है, वहीं हरियाणा में एक प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति पाने के बाद प्राथमिक शिक्षक ही रिटायर हो जाता है। एक प्राथमिक शिक्षक के लिए सेवा नियमों में अन्य विषयों के अध्यापक पद पर पदोन्नति के लिए नियम बनाए गए हैं। इनमें पहले सामाजिक अध्ययन मास्टर के लिए 50 प्रतिशत तो हिन्दी, विज्ञान, गणित, संस्कृत तथा अन्य विषयों के मास्टर पद पर पदोन्नति के लिए 33 प्रतिशत पद आरक्षित हैं। सरकार व शिक्षा विभाग के ढुलमुल रवैये, तानाशाही व प्राथमिक शिक्षकों के साथ लापरवाही रवैये के कारण कभी भी प्राथमिक शिक्षकों को किसी भी विषय पर समय पर पदोन्नति नहीं मिल सकी। कई विषयों के मास्टर पदों में जेबीटी अध्यापकों के पदोन्नति कोटे के लगभग दस हजार सीटों पर सरकार व शिक्षा विभाग जेबीटी अध्यापकों को पदोन्नति न देकर उनका मानसिक शोषण कर रही है। गणित व विज्ञान पदों पर पदोन्नति कोटे के इतने पद खाली पड़े हैं कि बेशक जल्द ही नियुक्त होने वाले जेबीटी अध्यापकों को भी तुरंत पदोन्नति मिल सकती है। शिक्षा विभाग की लचर नीतियों के कारण प्राथमिक शिक्षक हमेशा पदोन्नति से वंचित रह जाते हैं क्योंकि प्राथमिक शिक्षकों को पदोन्नति नियमानुसार न देकर किसी संकट से उबारने के कारण ही प्रदान की जाती है। वर्ष 2010 में एसएस मास्टर पर पदोन्नति जेबीटी अध्यापकों के लिए सीटें रिक्त करने की मजबूरी के कारण की गई थी। शिक्षा विभाग हर साल पदोन्नति के लिए अभियान चलाता है जिसमें जिला शिक्षा अधिकारियों को डिप्टी डायरेक्टर, खंड शिक्षा अधिकारियों को जिला शिक्षा या मौलिक शिक्षा अधिकारी, प्रधानाचार्यो को खंड शिक्षा अधिकारी, प्रवक्ता को प्रधानाचार्य, मास्टर को प्रवक्ता बनाया जाता है। जब जेबीटी को मास्टर पद पर पदोन्नति करने का समय आता है तो विभाग का अभियान फिसड्डी साबित हो जाता है। जेबीटी अध्यापकों के साथ पदोन्नति के नियमों में भी पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाया गया है क्योंकि सी एंड वी तथा पीटीआइ नियमों तथा ग्रेड में जेबीटी के समान होने पर भी मास्टर व प्रवक्ता दोनों में पदोन्नति प्राप्त कर सकते हैं। एक जेबीटी अध्यापक को प्रवक्ता बनने के लिए पहले मास्टर पद पर कार्य करना अनिवार्य है।
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