Friday, June 7, 2013

ADYAPAKO KE MATHE PHODA JA RAHA KHARAB RESULT KA THEEKRA

हरियाणा सरकार शिक्षा के क्षेत्र में करोड़ों खर्च कर रही है। शिक्षा के अधिकार को लागू करने में भी हरियाणा सरकार पहले पायदान पर है। इतना सब होने के बावजूद बच्चों का भविष्य दांव पर है। भिवानी बोर्ड की 10वीं के परीक्षा परिणाम राज्य में शिक्षा के हालात कुछ और ही बयां कर रहे हैं। शैक्षणिक कार्य की बजाए, राज्य सरकार एक्ट को लागू करने में ज्यादा व्यस्त है। बच्चों को पढ़ाने के बजाए उन्हें स्कूल तक लुभाने पर ध्यान दिया जा रहा है। उधर शिक्षा का अधिकार लागू करने में केंद्र ने हरियाणा की पीठ भी थपथपाई है, लेकिन शिक्षा का स्तर नहीं सुधरा है। हरियाणा में अभी भी 20 हजार शिक्षकों की कमी है। शिक्षा विभाग के सवाल जवाब पर
प्रधानाचार्य कहते हैं कि वे भवन निर्माण के कार्य में लगे हैं। सरकारी दफ्तरों में अटैच अध्यापकों के कारण शिक्षा का बेड़ा गर्क हो रहा है। स्कूलों में डेस्क बेंच पूरी नहीं हो पाई हैं, बच्चे अभी भी टाट पर बैठकर गुजारा कर रहे हैं। सतत एवं व्यापक मूल्यांकन में लगे अध्यापकाें को प्रत्येक बच्चे की रिपोर्ट खुद भरनी है। ऐसे में वे बच्चों को पढ़ाएंगे या उनकी रिपोर्ट तैयार करेंगे। यह हैं मुख्य कारण •हरियाणा के स्कूलों में 20 हजार शिक्षकों की कमी •सुपरविजन के बजाए स्कूल भवन बनवा रहे प्रधानाचार्य • शिक्षा विभाग में डेपुटेशन पर लगे हैं शिक्षक •नए सिलेबस के हिसाब से तैयार नहीं हैं शिक्षक •कभी भी समय पर नहीं पहुंचती किताबें, इस बार भी नहीं पहुंची परिणाम पर रिपोर्ट मांगी जाएगी : भुक्कल हरियाणा की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल भिवानी बोर्ड की दसवीं के परिणामों से संतुष्ट नहीं हैं। विभाग ने ग्रेड मार्क प्रणाली समाप्त कर दी है और प्रावधान किया है कि प्रत्येक विद्यार्थी को प्रैक्टिकल और थ्योरी में अलग अलग से पास करना होगा। भुक्कल ने कहा कि परिणाम के संबंध में एक रिपोर्ट मांगी जाएगी और शिक्षा विभाग में सभी संबंधित को इस मुद्दे पर टिप्पणी देने के लिए कहा जाएगा। रिजल्ट देखने के बाद मैं चकित हूं। समझ नहीं आ रहा है कि हमारे यहां बच्चे सिर्फ खाना खाने आते हैं या वजीफा लेने के लिए। अध्यापकों से शैक्षणिक कार्य नहीं करवाया जा रहा तो बच्चे कैसे पढ़ेंगे। मैं इस बात पर शोध कर रहा हूं, नतीजा जल्द सामने आएगा। -डा. एस कुमार सेवानिवृत्त उपनिदेशक हरियाणा शिक्षा विभाग शिक्षा के अधिकार की सही पालना न होने के कारण भी परेशानी है। आरटीई के तहत बच्चे को आठवीं में फेल नहीं करना है। जब नींव मजबूत नहीं होगी तो वह दसवीं में परिणाम बेहतर कैसे देगा। -कुलभूषण शर्मा, प्रधान हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ बच्चों की जैसी परफारमेंस रही उस हिसाब से नंबर दिए गए हैं। बोर्ड ने अपनी तरफ से पूरी ईमानदारी से कार्य किया है। -डा. केसी भारद्वाज,चेयरमैन हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड

No comments:

Post a Comment