Wednesday, April 24, 2013

BAR CODE KE KARAN HO SAKTA HAI 10TH,10+2 KA RESULT LATE


कहीं इस बार रिजल्ट के लिए दसवीं व बारहवीं कक्षा के छात्रों को भटकना न पड़ जाए। शिक्षा बोर्ड प्रशासन द्वारा लागू की गई नई बार कोडिंग व्यवस्था में शिक्षा बोर्ड ने करोड़ों रुपये खर्च कर दिए लेकिन उसी कोड के फेर में परिणाम लटक सकता है।

हाल ही में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड प्रशासन ने परीक्षा परिणामों में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से उत्तर पुस्तिकाओं में ओएमआर शीट व बार कोड तकनीक लागू की है। इसके तहत उतर पुस्तिकाओं की मार्किंग के समय असली रोलनंबर की जगह कोई अन्य (बोगस) रोलनंबर का स्टीकर चस्पां कर दिया गया और ओएमआर सीट को शिक्षा बोर्ड मुख्यालय पर ही रख लिया गया है। दसवीं व बारहवीं दोनों ही कक्षाओं की उतरपुस्तिकाओं को मार्किग के लिए पूरे प्रदेश में भेजा जा चुका है और मार्किग का कार्य चल रहा है।

सूत्रों का कहना है कि उतर पुस्तिकाओं की माकिर्ंग करने तथा बोर्ड मुख्यालय तक वापस भेजने में लगभग एक माह का समय लग जाता है। उतर पुस्तिकाएं कई हाथों में से गुजरती हैं और इस वजह से स्टीकर पर लिखा गया रोलनंबर मिट जाता है। ऐसे में अधिकतर उतर पुस्तिकाओं का यह भी पता नहीं चलेगा कि आखिर वह किस छात्र की है। जाहिर है कि ऐसे में रिजल्ट तैयार करने में समय तो लगेगा ही साथ ही छात्रों को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

पहले भी हाथ जला चुका है बोर्ड

बार कोड प्रणाली को पहले भी शिक्षा बोर्ड प्रशासन लागू कर चुका है। सन 2004-05 में यह प्रणाली लागू की गई थी। उस समय लगभग 90 हजार बच्चों के रिजल्ट रुक गए थे। ठीक इसी तरह सीडीएलयू में भी कुछ साल पूर्व इस प्रणाली का उपयोग किया गया था, जिस कारण छात्रों को काफी परेशानी ङोलनी पड़ी थी।

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