रोहतक : शिक्षा विभाग के अधिकारियों की खामोशी जिले के सैकड़ों बच्चों का भविष्य चौपट कर रही है। अक्सर स्कूलों में पर्याप्त स्टॉफ होने के कारण बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती, लेकिन भिवानी रोड स्थित गवर्नमेंट सीनियर सेकेंड्री स्कूल के हालात इसके ठीक विपरीत हैं। यहां पीजीटी, टीजीटी, जेबीटी, क्लर्क सहित पूरा स्टाफ विद्यार्थियों की वर्तमान संख्या के हिसाब से कई गुना ज्यादा है। बावजूद इसके पिछले डेढ़ वर्ष से शिक्षक बच्चों को ज्ञान बांटने के लिए तैयार नहीं है। मंगलवार को इस खींचतान में लगे शिक्षकों से मिलने बीईओ वीरेंद्र मलिक पहुंचे। यहां शिक्षकों से लिखित में शिकायत भी मांगी, ताकि इस लड़ाई को खत्म कर बच्चों की पढ़ाई ठीक से चलाई जा सके।
शिकायत के बावजूद नहीं सुधरे हालात :
9वीं 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पीजीटी टीजीटी शिक्षक आमने-सामने हैं। स्कूल के प्राचार्य इसकी कई बार शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी सत्यवती नादंल को कर चुके हैं, लेकिन खानापूर्ति करते हुए
शिकायत को मुख्यालय भेज दिया गया। दिलचस्प बात है, लड़ाई की आड़ में शिक्षक जिम्मेदारी से भाग रहे हैं। वहीं, जब इसको लेकर कोई सवाल किया जाए तो वे पॉजीटिव सोच रखने की नसीहत देते हैं। बहरहाल, टीजीटी शिक्षकों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट शिक्षा विभाग की आरटीआई में साफ लिखा है कि कक्षा नौंवी दसवीं के विद्यार्थियों को पीजीटी शिक्षक ही पढ़ा सकते हैं, लेकिन प्राचार्य राजकुमार जांगड़ा का कहना है कि स्कूल सुधारने के लिए सभी का समन्वय जरूरी है।
36 पीरियड लेना अनिवार्य, औसत 12 का :
पीजीटी शिक्षकों को नियम के अनुसार प्रति सप्ताह 36 पीरियड लेना अनिवार्य है, जबकि यहां पर प्रति पीजीटी टीचर मात्र 12 पीरियड का अौसत दिया गया है। नौंवी से बारहवीं तक के 411 बच्चों को पढ़ाने के लिए 39 शिक्षकों की तैनाती है।
पढ़ाने का लिखित में नहीं मिला आदेश
6वीं से 8वीं तक लगभग 200 बच्चे हैं, जबकि नौवीं से बारहवीं तक 411 विद्यार्थी हैं। इसमें 9वीं में 45, 10वीं में 60 बच्चे हैं, जिनकी पढ़ाई को लेकर शिक्षकों के बीच घमासान मचा हुआ है। चालू शिक्षण सत्र की शुरुआत से ही स्थिति गंभीर बनी हुई है। पीजीटी टीचर इन क्लास के बच्चों को पढ़ाने से मना करते हैं। तर्क है कि शिक्षा विभाग द्वारा इस संबंध में उन्हें कोई लिखित आदेश नहीं मिला है, जबकि टीजीटी शिक्षक वर्क लोड के साथ ही नई एजूकेशन पॉलिसी के तहत खुद को 6 से 8 कक्षा तक ही पढ़ाने की जिम्मेदारी देने की बात का हवाला देते हैं।
परीक्षाओं का लोड नहीं
स्कूल के शिक्षक बच्चों की आने वाली बोर्ड परीक्षाओं को लेकर निश्चिंत हैं। बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देने और कोर्स पूरा करने की जगह ये आपस में राजनीति करने में लगे हैं। बताया जाता है कि एक पक्ष दिनभर प्राचार्य के कमरे में बैठ योजना बनाता है तो दूसरा पार्क अथवा किसी अन्य कमरे में बैठ इनके कटाक्ष के लिए नीतियां तैयार करते हैं। दोनों पक्ष कागजी कार्रवाई शिकायत करने से भी नहीं चूक रहे। शायद इसीलिए जिले के अधिकारी इस मामले में पड़ना ही नहीं चाहते।
कई बार लिखा पत्र, फिर भी नहीं हुई नियुक्ति
इस बारे में स्कूल प्रिंसीपल सरिता खनगवाल ने बताया कि महम बीईओ को इस विषय में अवगत कराया जा चुका है। बीईओ कार्यालय से शिक्षक उपलब्ध कराए जाने को लेकर रोहतक जिला शिक्षा अधिकारी को 5 21 नवंबर को पत्र लिखा गया था, बावजूद इसके अभी तक स्कूल में कोई शिक्षक नियुक्त नहीं किया गया। शिक्षक होने से पढ़ाई बाधित होने की बात भी उन्होंने कही। पूरे मामले को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी को सूचित कर दिया गया है।
"पिछले वर्ष स्कूल का परिणाम बहुत कम था। इसे सुधारने के लिए जब प्रयास किए गए तो लेक्चरर कहते ैं कि इन बच्चों को पढ़ाने का उनको लिखित आदेश नहीं मिला है। डीईओ सत्यवती नांदल से मिलकर उन्हें इस संबंध में आदेश देने की बात की, फिर भी समस्या का समाधान नहीं हो पाया। अपने स्तर पर बच्चों को पढ़ाने का प्रबंध किया गया है।"--राजकुमार जांगड़ा, प्राचार्य
"क्लास लेने के लिए पीजीटी टीजीटी शिक्षक एक-दूसरे पर टालते हैं। इनकी समस्या के समाधान के लिए स्कूल आकर लिखित में शिकायत ली है। डीईओ को ये सभी शिकायतें सौंप दी हैं।"-- विरेंद्र मलिक, बीईओ, रोहतक
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