Wednesday, April 29, 2015

SAVDESI COMPANY HI KYU

आर्य गौरव
नेपाल भूकंप ने साबीत तर दिखाया की क्यो स्वदेशी कंपनीयो की वस्तुए खरिदनी चाहीये..??? कृपया जरुर पढे और अग्रेषीत करे... नेपाल में हुई भूकंप आपदा में सबसे बड़ा योगदान पतंजलि आयुर्वेद कंपनी ने दिया...ना ब्रिटानीया ना हिंदूस्तान युनिलीवर ना पेप्सी ना कोक ना आयटीसी... न्यूज़ देखने को मिली की श्री श्री रवि शंकर जी जो श्री श्री के नाम से आयुर्वेद की कंपनी चलाते है.. ये कंपनी भी दान देने में आगे आयी... भारती एअरटेल एवं बीएसएनएल आगे आयी... एअरटेल ने २ दिन तक और बीएसएनएल ने ३ दिन तक भारत से नेपाल के लिये कॉल की सेवा मुफ्त कर दी... लेकीन विदेशी वोडाफोन ने क्या दिया? कुछ किया? कोई विदेशी कंपनी आगे नही आयी.....जो देश में बड़ी बड़ी कंपनीयों के रूप में जाना जाता है- कोका कोला, पेप्सी,हिंदुस्तान यूनीलीवर, P&G आदीदास, ,रीबॉक, सॅमसंग, सोनी इत्यादि ५००० से भी अधिक कंपनिया है....परन्तु कोई आगे नही आया इस संकट के समय.... अगर कोई आया है तो हमारे देश की कंपनिया ही... इतना ही नही पतंजलि और अन्य भारतीय कंपनीयों ने ही उत्तराखंड आपदा में भी सबसे बड़ा योगदान दिया
था.... इसलिए भी हम स्वदेशी का आग्रह करते है.... स्वामी रामदेव जी ने टुड़ीखेल मैदान काठमांडू में आपदा पीड़ित लोगों को संबोधित करने के बाद मीडिया से कहा की मैं अपने कार्यकर्ताओं के साथ यही रहकर पीड़ितों की मदद करूँगा...साथ ही उन्होंने कहा कि ये मैदान जो हमें योग शिबिर के लिए दिया गया था अब नेपाली भाई बहनों के रहने के लिए है....बिछाने वाली हरी मैट से हजारों लोगों ने टैंट बनाया हुआ है,साथ पतंजलि के जनरेटरों से लोगो के मोबाइल चार्ज कराये जा रहे हैं और शिबिरार्थियों के लिए बने टॉयलेट सभी नेपाली भाई बहनों के लिए उपलब्ध है, पतंजलि के बिस्किट,जल,अन्य खाद्य पदार्थ एवं भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है पतंजलि योगपीठ,भारत स्वाभिमान, युवा भारत द्वारा. स्वामी जी ने भारत एवं नेपाल सरकार से भी हर मुमकिन सहायता दिलाने का भरोसा लोगों को दिया है.... मोरारी बापू ने भी ५१ लाख रुपये की तत्काल सहायता दी और हर संभव मदद का भरोसा दिया.... निवेदन है कि यथा संभव स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करें... "स्वदेशी अपनाएं...देश बचाएं" ताकी भारत का पैसा भारत मे रहे और जैसे की हमारी महान 🚩आर्य संस्कृती🚩ने संकट के समय दुसरो की सहायता करने की सीख दी है..हम इसी मार्ग पर चलने के लिये कटीबद्ध रहे.

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