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Friday, September 19, 2014
THOUGHT OF THE DAY:19 SEPTEMBER 2014
जरुरत के मुताबिक जिंदगी जीओ - ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं ! क्योंकि जरुरत
तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है; पर ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह
जाती हैं ! बचपन की वोह अमीरी न जाने कहाँ खो गई ......वरना बारिश के पानी
में हमारे कई जहाज चला करते थे ।
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