Pages

Sunday, May 31, 2015

टूटती उम्मीदों के बीच गेस्ट टीचरों को एक माह की राहत

एक माह की राहत
टूटती उम्मीदों के बीच गेस्ट टीचरों को एक माह की और मोहलत मिल गई और साथ ही सरकार को अपना प्रबंध कौशल साबित करने के लिए अतिरिक्त अवधि भी। सरप्लस टीचरों के बारे में स्टेटस रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करने में लगातार गफलत की स्थिति बनी रही, यह परिस्थितिजन्य थी या नियोजित, इस पर ध्यान देने से जरूरी बात यह है कि अब सरप्लस को अनिवार्य कैसे साबित किया जाएगा? स्टेटस रिपोर्ट के नाम पर तय तिथि को कोर्ट की कार्यवाही के अंतिम क्षणों में एडवोकेट जनरल ने सूचना दी कि 28 गेस्ट टीचरों की सेवाएं1 जून से समाप्त कर दी जाएंगी, शेष साढ़े तीन हजार के बारे में निर्णय के लिए समय मांग लिया गया। घटनाक्रम और सक्रियता से गेस्ट टीचरों के बारे में सरकार की नीति और नीयत का आभास तो होने लगा है। स्टेटस रिपोर्ट पेश करने की तिथि निकट आते ही सात हजार टीजीटी को पीजीटी के पद पर प्रमोट करने के लिए शिक्षा विभाग ने आवेदन मांग लिए। शिक्षा मंत्री कई बार सार्वजनिक तौर पर कह चुके कि टीजीटी को पदोन्नत कर पद रिक्त किए जाएंगे, उन पर अतिथि अध्यापकों को एडजस्ट किया जाएगा। मंत्री समूह की बैठक में भी ऐसा ही आश्वासन दिया गया था। बड़ी संख्या में गेस्ट लेक्चरर भी वर्षो से कार्यरत हैं, यदि शिक्षा विभाग ने
टीजीटी को पदोन्नत किया तो स्वाभाविक है लेक्चरर की संख्या सरप्लस लेवल तक पहुंच सकती है, ऐसे में गेस्ट लेक्चरर का क्या होगा, इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है। अदालती आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि सरप्लस अतिथि अध्यापकों के बारे में सरकार ने 29 जून तक कोई निर्णय नहीं लिया तो उन्हें इससे अगले दिन बर्खास्त मान लिया जाएगा। सरकार को अब दो स्तरों पर गंभीरता और प्रतिबद्धता दिखानी होगी। पहली बात यह कि पिछले दरवाजे से या सियासी प्रतिबद्धता के चलते तदर्थ आधार पर नियुक्ति स्थायी तौर पर बंद की जानी चाहिए। इसके लिए भर्ती नीति में बदलाव ला कर पारदर्शी रूप देना होगा। गेस्ट टीचरों के बारे में निर्णय लेने में पूर्ववर्ती सरकार ने नीतिगत अपरिपक्वता और अव्यावहारिकता दिखाई, इस गलती को लंबे कार्यकाल के दौरान सुधारने की कोशिश भी नहीं की। दूसरी बड़ी चुनौती पूर्ववर्ती सरकार के निर्णय को न्यायसंगत और तार्किक रूप देने की है। नीतिगत विफलता के कारण ही आज शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था, अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है। समय है बड़े बदलाव का।

No comments:

Post a Comment