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Sunday, March 16, 2014

AB SCHOOL ME NAHI USE HOGA MOBILE PHONE

सीबीएसई ने 29 जुलाई 2009 को एक सर्कुलर जारी कर सभी स्कूलों में मोबाइल फोन क यूज पर बैन लगा दिया था। स्टूडेंट्स के अलावा टीचर्स भी स्कूल टाइमिंग में मोबाइल फोन का यूज नहीं कर सकते लेकिन इस आदेश को ज्यादातर स्कूलों में नहीं माना जा रहा है। खासकर प्राइवेट स्कूलों में तो स्टूडेंट्स के पास आमतौर पर मोबाइल फोन देखने को मिलता है। क्लास के दौरान ही फोन बजता है, मैसेज भेजे जाते हैं। साउथ दिल्ली के एक स्कूल में कुछ दिन पहले स्टूडेंट्स ने मोबाइल के जरिए एक विडियो भी बनाया, जिसमें जूनियर अपने सीनियर की पिटाई करते हुए दिखाई दे रहे हैं। सवाल यह है कि सभी स्टूडेंट्स के पास मोबाइल क्यों
है और जब बच्चे स्कूल कैंपस में लड़ रहे थे तो स्टाफ कहां था/ सीबीएसई ने भी इस घटना को गंभीरता से लिया है और जल्द ही मोबाइल फोन को लेकर स्कूलों के लिए नई गाइडलाइंस इशू की जाएंगी।

सीबीएसई के चेयरमैन विनीत जोशी का कहना है कि स्कूलों को अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से निभानी होगी। चेयरमैन का कहना है कि स्कूल प्रशासन को पैरंट्स से बात करनी होगी। कुछ पैरंट्स की यह डिमांड होती है
कि उनके बच्चे को मोबाइल फोन रखने की इजाजत दी जाए। लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि उन बच्चों का मोबाइल स्कूल में आते ही जमा हो और जब स्कूल से बाहर जाएं तो बच्चों को मोबाइल वापस किया जाए। इन दिनों ज्यादातर स्कूलों में स्टूडेंट्स अपने साथ मोबाइल फोन लेकर जाते हैं। जो बच्चे स्कूल बस में आते-जाते हैं, उनके पास भी मोबाइल होता है। क्लासरूम में मोबाइल फोन के साथ स्टूडेंट्स देखे जाते हैं और पढ़ाई से ज्यादा मोबाइल पर ध्यान होता है। जबकि सीबीएसई ने 2009 के सर्कुलर में साफ कहा था कि स्कूलों का फोन नंबर पैरंट्स को दिया जाना चाहिए। हालांकि उस सर्कुलर के मुताबिक कोई स्कूल नहीं चल रहा है।

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