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Wednesday, October 30, 2013

JALD HOGI HARYANA KE COLLEGES ME 1396 LECTURERS KI NIYUKTI

हरियाणा उच्चतर शिक्षा विभाग जल्द ही 1396 प्रवक्ताओं की नियुक्ति करेगा। सूत्रों के मुताबिक विभाग ने इस संबंध में हरियाणा लोकसेवा आयोग को पत्र भेज दिया है। मुख्यमंत्री के पास भी इन नियुक्तियों का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। उम्मीद है जल्द ही इन भर्तियों के लिए आयोग को स्वीकृति मिल जाएगी। 1राज्य भर में कुल 95 राजकीय महाविद्यालय हैं। इन महाविद्यालयों में 1396 प्रवक्ताओं के पद रिक्त हैं। विभाग ने इस बार हर कॉलेज में पढ़ाए जाने वाले विषयों के वर्कलोड के आधार पर भर्ती करने का निर्णय लिया है। 1396 में से 370 पद अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं जबकि सामान्य वर्ग के 614 सीटें हैं। प्रवक्ताओं की
कमी के चलते कॉलेजों में पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। हालांकि सरकार ने सभी कॉलेजों में अतिथि प्राध्यापकों की नियुक्ति कर रखी है। एक्सटेंशन लेक्चरार के लिए इस वर्ष सरकार ने 10 करोड़ रुपये का विशेष बजट रखा है। सरकार ने इस बजट को अगले वित्तीय वर्ष में और अधिक करने का निर्णय लिया है। 1प्रदेश में सर्वाधिक डिमांड कॉमर्स प्राध्यापकों की है। कारण कि झज्जर के दुजाना को छोड़कर सभी राजकीय महाविद्यालयों में कॉमर्स विषय पढ़ाया जा रहा है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सभी कॉलेजों में कॉमर्स के छात्रों की सीटें दाखिलों की तिथि से पहले ही पूरी हो गई थी। यही हाल विज्ञान विषयों का है। कॉमर्स के बाद बाद कंप्यूटर साइंस के शिक्षकों की सबसे अधिक मांग है। गणित के 155, रसायन शास्त्र विभाग के 142 और फिर भौतिक विज्ञान के 136 शिक्षकों की आवश्यकता है। 1परंपरागत विषयों में सबसे कम मांग संस्कृत के 30 प्राध्यापकों की है। इनमें से 10 सामान्य वर्ग और 8 अनुसूचित जाति के लिए 8, पिछड़े वर्ग के लिए एक और आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए एक सीट आरक्षित हैं। विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक हालांकि अतिथि और एक्सटेंशन लेक्चरार द्वारा पढ़ाए जाने वाले विषयों में भी अच्छे परीक्षा परिणाम आ रहे हैं, लेकिन एक प्राचार्य के मुताबिक ऐसा नहीं है। एक्सटेंशन लेक्चरार अपेक्षित समर्पण के साथ नहीं पढ़ा पाते। 1हालांकि उन्हें पहले के 72 पीरियड के मुकाबले 90 पीरियड लेने की व्यवस्था कर दी गई है। प्रमुख शिक्षाविद और पूर्व कॉलेज प्राचार्य डॉ. अशोक दिवाकर के मुताबिक स्थायी प्राध्यापकों की नियुक्तियों से शिक्षा के स्तर में सुधार होगा और शिक्षण की निरंतरता बनेगी।

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