Pages

Sunday, July 28, 2013

SCHOOL EDUCATION KI QUALITY KO LEKAR VICHAR-VIMARSH

काउंसिल फार बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (कोबसे) के महासचिव प्रो. डीवी शर्मा ने कहा कि वे स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर चिंतित हैं चाहे वह प्राथमिक स्तर है या सेकेंडरी स्तर। उन्होंने कहा कि स्कूल शिक्षा बोर्ड राष्ट्रीय व राज्य स्तरों पर स्कूली पाठ्यक्रम में समयानुसार बदलाव लाकर राष्ट्रीय व अन्र्तराष्ट्रीय मुद्दों/विषयों को सम्मिलित करते हैं। शिक्षा बोर्ड पाठ्यपुस्तकें तैयार करने व उनकी गुणवत्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, व्यापक और सुव्यवस्थित इंतजामात करके इतनी भारी तादात में परीक्षार्थियों के लिए परीक्षाओं का
संचालन करते हैं। वे आज बोर्ड मुख्यालय पर हरियाणा बोर्ड व कोबसे के संयुक्त तत्वावधान में ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम: शिक्षा बोर्डों की भूमिका’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार के अवसर पर एकत्रित अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मूल्यांकन व प्रश्र-पत्रों की विश्वसनीयता व गुणवत्ता को सुधारने के सतत् प्रयास करते हैं। इसलिए प्राथमिक स्तर पर भी स्कूल शिक्षा बोर्डों की महत्ती भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। साथ ही उन्होंने कहा कि अभी इससे में और गुणवता लाने की जरूरत है। बोर्ड शिक्षा की धुरी : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डा. केसी भारद्वाज ने कहा कि शिक्षा बोर्ड एक केन्द्रीय धुरी है जिनके इर्द-गिर्द सम्पूर्ण विद्यालयी शिक्षा घूमती हैं। शिक्षा बोर्डों की राष्ट्रीय निर्माण हेतु गुणी मानव संसाधनों को विकसित करने में एक उल्लेखनीय भूमिका है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू करवाने मेें शिक्षा बोर्ड अहम भूमिका निभा सकते हैं। शिक्षा के लिए होनी चाहिए परीक्षा : एन.सी.ई.आर.टी के शिक्षाविद. प्रो. एस.पी. श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षा बोर्डों में इतनी क्षमता है कि वे स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों, जिनमें प्राइमरी भी शामिल है, के स्तर को सुधारने व अन्य समस्याओं का सामना कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा के लिए परीक्षा होनी चाहिए, न की परीक्षा के लिए शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षण से सीखना ज्यादा महत्वपूर्ण है। प्रो. श्रीवास्तव ने कक्षा छठी, कक्षा सातवीं व कक्षा आठवी हेतु परीक्षण टेस्ट संचालित करने की बात कही जोकि बोर्ड परीक्षाओं से भिन्न होंगे।

No comments:

Post a Comment