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Tuesday, September 24, 2013

HBSE BOARD NE APNE HIT ME LIYA FAISLA


हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने गजब का पैंतरा खेला है। अध्यापकों को लचर परिणाम आने पर जवाबदेही के दायरे में खड़ा कर दिया है तो बोर्ड का खजाना भरने का इंतजाम भी कर लिया है। बोर्ड ने इस शिक्षण सत्र में प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा स्कूल स्तर पर ही आयोजित करवाने का निर्णय लिया हुआ है जबकि दूसरे सेमेस्टर की वह स्वयं लेगा। प्रश्न पत्र व उत्तर पुस्तिकाएं बोर्ड स्कूल को मुहैया करवाएगा। पहले बोर्ड की निगरानी में प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा होती थी। लिहाजा परीक्षा में ड्यूटी देने पर उसे शिक्षकों को मेहनताना अदा करना पड़ता था। सुपरवाइजर को एक ड्यूटी की एवज में 45 रुपये व प्रतिदिन के 40 रुपये दिए जाते थे। अधीक्षक को 55 रुपये प्रति ड्यूटी व 40 रुपये प्रतिदिन दिए जाते थे। मुख्य अधीक्षक को 60 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से
अदायगी होती थी। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को 25 रुपये प्रतिदिन और उत्तर पुस्तिकाओं के बंडल बांधने पर 50 रुपये मिलते थे। पेपर चेकिंग करने पर बोर्ड शिक्षकों को प्रति कॉपी के हिसाब से राशि प्रदान करता था। नई व्यवस्था से यह तमाम राशि बोर्ड ने बचा ली है। 1सवाल यहां खड़ा होता है कि बोर्ड ने परीक्षा ड्यूटी के नाम पर खर्च होने वाली बड़ी रकम बचा ली लेकिन बच्चों से परीक्षा फीस 500 रुपये वसूली गई। जबकि बोर्ड का खर्चा कम हो गया और उसे इतनी दाखिला फीस सैद्धांतिक तौर पर नहीं लेनी चाहिए। अध्यापकों के लिए खतरे की बात यह है कि उन्हें बोर्ड ने जवाबदेही के दायरे में लाकर खड़ा कर दिया है। प्रथम सेमेस्टर का परिणाम देने का अधिकार शिक्षक के हाथ में सौंप दिया गया है। यदि पहली परीक्षा में बच्चा अच्छे नंबर से पास होता और दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा वह फेल हो जाता है तो इसके लिए अध्यापक जिम्मेदार होगा। बोर्ड प्रथम व द्वितीय सेमेस्टर के परिणाम की समीक्षात्मक रिपोर्ट तैयार शिक्षा विभाग के पास भेज देगा। इसके बाद विभाग अध्यापकों पर कार्रवाई कर सकता है। हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ के पूर्व प्रदेश सचिव कृष्ण कुमार निर्माण ने कहा कि बोर्ड विद्यार्थियों के हित में काम करता है, लेकिन इस व्यवस्था से बोर्ड ने सिर्फ अपने हित साधे हैं। उधर बोर्ड के सचिव अंशज सिंह कहते हैं कि पहले 21 जिलों तक ही उत्तर पुस्तिका व प्रश्न पत्र पहुंचाए जाते थे, लेकिन अब 119 ब्लाक तक यह पहुंचाए जाएंगे।

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